सोमवार, 28 फ़रवरी 2011
सोमवार, २८ फरवरी २०११
इसहाक का संदेश (मौरिन के एक अभिभावक देवदूत) दूरदर्शी मौरिन स्वेनी-काइल को नॉर्थ रिजविले, यूएसए में दिया गया।

एक बड़ा देवदूत आ रहा है। मुझे लगा कि यह एलानस हैं, इसलिए मैंने उसे डांटा क्योंकि मैं उसे कहीं और भेज चुकी थी। उसने कहा: "नहीं, मैं इसहाक हूँ। यीशु की स्तुति हो।" (इसहाक मेरे अभिभावक देवदूत हैं।)
“मैं दुनिया के हृदय परिवर्तन के लिए प्रार्थना करने की आवश्यकता को दोहराने आया हूँ। समाज धीरे-धीरे उन लोगों की भलाई पर निर्भर होता जा रहा है जो बुराई के प्रति समर्पित हैं। ये ऐसे लोग हैं जिन पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए। यीशु और मरियम चाहते हैं कि अच्छे कार्यों के लिए समर्पित लोग कम कमजोर हों।”
“प्रार्थना और बलिदान आपके हथियार होने चाहिए। प्रार्थना और बलिदान के माध्यम से ही हृदय बदलेंगे और भगवान की ओर मुड़ेंगे। इस प्रकार दुनिया का हृदय बदलेगा, लेकिन आपको दृढ़ रहना होगा। अपने आसपास जो कुछ भी सुनते या देखते हैं उससे निराश न हों। पवित्र माता ने मुझे यह बताने भेजा है। प्रार्थना और बलिदान आपकी सुरक्षा हैं।”